जीवन में कितना जरूरी है धन, जानिए अपनी नीति में क्या कहते हैं आचार्य चाणक्य
चाणक्य आचार्य ने अर्थशास्त्र का लेखन करते हुए धन के विषय में कहा है
कि जिसके पास धन होता है उसी से अन्य लोग मित्रता करते हैं,
अन्यथा उससे दूर रहने की कोशिश करते हैं. निर्धन से मित्रता कोई नहीं करना
चाहता. इसी प्रकार जो धनवान हो उसी के बंधु-बांधव होते हैं.
जीवन यापन करने और जिंदगी के सुखों को उठाने के लिए सबसे जरूरी है धन.
. जीवन के चार लक्ष्यों में धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष में अर्थ यानी कि धन का दूसरा ही स्थान है.
यानि धर्म के होने के तुरंत बाद धन की जरूरत है.
महान नीतिवान आचार्य चाणक्य ने भी अर्थशास्त्र में कई स्थानों पर धन का महत्व बताया है.
आचार्य चाणक्य के अनुसार हर व्यक्ति को धन का संचय जरूर करना चाहिए.